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शोधकर्ताओं ने पहले रीढ़ की हड्डी में निरोधात्मक न्यूरॉन्स का एक सेट खोजा था, जो कोशिकाओं के लिए ब्रेक की तरह काम करते हैं। ये खुजली की संवेदना को मस्तिष्क तक पहुंचाने वाले रीढ़ की हड्डी को अधिकांश समय बंद रखते हैं।

आज साइंस ने इतनी तरक़्क़ी कर ली है. मगर, मज़े की बात यह है कि खुजली की जो परिभाषा आज चलन में है, वह आज से कोई साढ़े तीन सौ बरस पहले एक जर्मन डॉक्टर सैमुअल हैफ़ेनरेफ़र ने तय की थी।उन्होंने लिखा था खुजली शरीर को महसूस होने वाली ऐसी सनसनी है, जो खुजलाने से शांत होती है. यही परिभाषा आज भी चलन में है. दिक़्क़त यह है कि इससे खुजली को लेकर हमारी समझ ज़रा भी बेहतर नहीं होती। केलिफरेनिया के साल्क इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर मार्टिन गाउल्डिंग ने बताया, “खुजली की संवेदना का मस्तिष्क तक सफर अन्य स्पर्श से जुड़ी संवेदनाओं से अलग मार्ग से होती है और इसका रास्त रीढ़ की हड्डी से गुजरता है, जो एक विशिष्ट मार्ग है.”

खुजली जो प्राय: एक्जिमा, मधुमेह या कुछ मामलों में कैंसर के कारण होती है।आपको बता दें ये न्यूरॉन्स न्यूरोट्रांसमिटर न्यूरोपेपटाइड वाई (एनपीवाई) का उत्पादन करते हैं। यह खुजली की संवेदना को मस्तिष्क तक पहुंचाने के दीशा का निर्माण करते हैं, जो पुरानी खुजली के मामले में रास्ते को हमेशा खुला रखते हैं।