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पैरा कमांडोज-
ये सेना के सबसे ज्यादा प्रशिक्षित कमांडोज हैं। ये कमांडोज 3 हजार फीट ऊपर से छलांग लगाने में एक्सपर्ट होते हैं और इन्होंने कई देश-विदेश में कई सारे कामयाब ऑपरेशन्स किये हैं। ये कमांडो फोर्स 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गठित पैरा कमांडो फोर्स, 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध में भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। भारत द्वारा पाकिस्तान पर सितंबर 2016 में जो सर्जिकल स्ट्राइक की थी, वो स्ट्राइक पैरा कमांडोज ने ही की थी।
मारकोस-
इस फोर्स का गठन 1987 में हुआ था। इंडियन नेवी की ये फोर्स, यूएस सील कमांडोज के बाद एकमात्र ऐसी फोर्स है जो पानी के भीतर हथियारों के साथ ऑपरेशन को अंजाम दे सकती है। भारत में ऐसे कुल 1200 कमांडोज हैं।
गरुड़ कमांडोज-
इसके नाम से ही आप अमदाज लगा सकते हैं, ये कमांडोज वायुक्षेत्र में ऑपरेशन को अंजाम देते हैं। ये कमांडोज भारतीय वायु सेना के अहम हिस्सा होते हैं। इसमें कुल 2 हजार कमांडोज होते हैं और इस फोर्स का हर एक कमांडो अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं। इन कमांडोज को हवाई आक्रमण करने, रेस्क्यू करने और स्पेशल कॉम्बेट के लिए खास ट्रेनिंगर मिलती है।
नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NCG)
इस फोर्स का गठन 1984 में की गई थी। इन कमांडो को ब्लैक केट कमांडो के नाम से भी जाना जाता है। ये कमांडो देश के आंतरिक युद्ध की स्थिति को संभालते हैं। आतंकवादी और अन्य किसी आपातकालीन स्थिति में इन कमांडो फोर्स का उपयोग किया जाता है।
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स्पेशल प्रोटेक्शन फोर्स-
ये नेता बड़े नेताओं की सुरक्षी के लिए गठित किये गए थे। जब प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मृत्यु हुई थी तब नेताओं की सुरक्षा के लिए इस फोर्स की स्थापना हुई। इन फोर्स का उपयोग तत्कालीन प्रधानमंत्री, भूतपूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए किया जाता है।
घातक-
इस फोर्स का एक जवान ही दुश्मनों के 20 सैनिकों से अकेले सामना कर सकता है। इन्हें बैटल और मैन टू मैन एसॉल्ट की खास ट्रेनिंग दी जाती है। युद्ध के समय बटालियन के आगे चलने वाले भारतीय सेना की स्पेशल कमपनी घातक तोपखानों को नष्ट करने में एक्सपर्ट होते हैं।
कोबरा-
इस कमांडो फोर्स का गठन 2008 में गोरिल्ला युद्ध के लिए तैयार किया गया था। ये कमांडोज नक्सलियों क्षेत्रों में उपयोग होते हैं। ये विश्व की पैरामिलेट्री फोर्सेज में से एक है।
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